Tuesday, October 13, 2009

दिवाली में दीपक

















(सभी को दिवाली की शुभ कामनायें।)

तुम दिवाली में दीपक जलाते रहो
अँधेरा मिटे, न मिटे, साथियो
जुगनुओं की तरह तुम टिमटिमाते रहो
रात काली रहे तो रहे, साथियो
तुम दिवाली.......

सितारों की तरह झिलमिलाते रहो
चाँद निकले, न निकले मेरे साथियो
प्रेम की वर्तिका तुम जलाते रहो
प्रिय आयें न आयें, मेरे साथियो
तुम दिवाली में दीपक......

नृत्य करते हुये तुम थिरकते रहो
प्रिय की वीणा बजे, न बजे, साथियो
पतवार नैया की अपनी चलाते रहो
तट आये, न आये, मेरे साथियो
तुम दिवाली में दीपक......

कदम पे कदम तुम बढ़ाते रहो
राह मीलों पड़ी तो पड़ी, साथियो
निज डगर पर हमेशा ही चलते रहो
कोई साथी मिले, न मिले, साथियो
तुम दिवाली में दीपक....

स्वाद जीवन का लेते रहो तुम सदा
चाहे कड़वा या मीठा, मेरे साथियो
प्रेम के गीत तुम गुनगुनाते रहो
कोई प्रेमी मिले न मिले, साथियो
तुम दिवाली में दीपक....







4 comments:

  1. बहुत सुंदर आशावादी कविता । आपको दीपावली की अनेक शुभ कामनाएँ।

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  2. bahut sundar aashaavaadee kavitaa hai.

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