Monday, October 12, 2009

बंदर और मगरमच्छ


नदी कूल जामुन तरु पर
रहता एक स्याना बंदर
मीठे-मीठे जामुन खाता
अपने दोस्तों को भी खिलाता
एक बार उस नदी के अंदर
बनाया एक मगर ने घर
कभी-कभी बाहर आ जाता
थोडा बंदर से बतियाता
धीरे-धीरे हो गई यारी
करते बातें प्यारी-प्यारी
बंदर जामुन तोड के लाता
मगरमच्छ को खूब खिलाता
एक बार बोला यूं मगर
ले जाऊंगा जामुन घर
पत्नी बच्चों को भी खिलाऊं
स्वाद जरा उनको भी चखाऊं
तोड दिए बंदर ने जामुन
खुश थे दोनों मन ही मन
चला मगर अब जामुन लेकर
खिलाए पत्नी को जा घर
खाकर मीठे मीठे जामुन
ललचाया पत्नी का मन
खाए रोज जो ऐसे फल
कैसा होगा उसका दिल
पत्नी मन ही मन ललचाई
मगर को इक तरकीब बताई
ले आओ तुम उसे जो घर
मार के खाएंगे वो बंदर
मगर भी अब बातों मे आया
जा बंदर को कह सुनाया

बैठ जाओ तुम मेरे ऊपर
दिखाऊंगा तुम्हें अपना घर
मानी बंदर ने भी बात
ले ली जामुन की सौगात
बैठ गया वो मगर के ऊपर
चलने लगा मगर जल पर
आया बंदर को ख्याल
किया मगर से एक स्वाल
दिखाना क्यों चाहते हो घर ?
क्या कुछ खास तेरे घर पर
नासमझी मे मगर यूँ बोला
सारा भेद ही उसने खोला
मेरी पत्नी से लो मिल
खाना चाहती है तेरा दिल
सुनकर बंदर हुआ आवाक
पर वो तो था बहुत चालाक
बोला पहले क्यों न बताया
दिल मै घर पर छोड के आया
चलो अभी वापिस जाएंगे
दिल उठाकर ले आएंगे
मुडा मगर वापिस सुनकर
नदी किनारे पर जाकर
कूद गया बंदर तरु पर
कहने लगा ऊपर जा कर
तेरा न कोई बुद्धि से नाता
दिल भी कभी कोई छोड के जाता
जाओ अब यहां कभी न आना
मुझे न तुमको दोस्त बनाना

3 comments:

  1. sari duniya aani jani hai sab ki ye kahani hai zindagi hai to dukh hai par jis zindagi main dukh nahi vo zindagi kaha sukh hai

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  2. कुत्ते ने काटा
    एक दिन निकला मैं घर से
    हक्का बक्का था के डर से
    सोचा कोइया न मिले कुत्ता
    इसलिए मैने र्खान पास मे एक जूता
    चलता चला चलता चला
    सामने एक कुत्ता मिला
    मैं भागा सब कुछ छ्चोड़
    वो भगा मेरी ओर
    फिर याद आई जुत्ते की
    गुस्से से आँख थी लाल कुत्ते की
    मैने जुत्ता फेंका उसकी और
    वो जाके गिरा कही और
    उस दिन पहुचा घर देर मे
    क्यूंकी कुत्ते ने काटा पेर मे

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