Monday, October 12, 2009

गुस्सा












गुस्सा बहुत बुरा है। इसमें जहर छुपा है।

मीठी बोली से सीखो तुम, दुश्मन का भी मन हरना
जल्दी से सीखो बच्चों तुम, गुस्से पर काबू करना।

गुस्सा बहुत बुरा है। इसमें जहर छुपा है।

बाती जलती अगर दिए में, घर रोशन कर देती है
बने आग अगर फैलकर, तहस नहस कर देती है।

बहुत बड़ा खतरा है बच्चों गुस्सा बेकाबू रहना।
जल्दी से सीखो---

खिलते हैं जब फूल चमन में, भौंरे गाने लगते हैं
बजते हैं जब बीन सुरीले, सर्प नाचने लगते हैं।

कौए-कोयल दोनों काले किसको चाहोगे रखना।
जल्दी से सीखो--

करता सूरज अगर क्रोध तो सोंचो सबका क्या होता
कैसी होती यह धरती और कैसा यह अंबर होता।

धूप-छाँव दोनों हैं पथ में, किस पर चाहोगे चलना।
जल्दी से सीखो----

करती नदिया अगर क्रोध तो कैसी होती यह धरती
मर जाते सब जीव-जन्तु, खुद सुख से कैसे रहती।

जल-थल दोनों रहें प्यार से या सीखें तुम से लड़ना।
जल्दी से सीखो--

इसीलिए कहता हूँ बच्चों, क्रोध कभी भी ना करना
जब तुमको गुस्सा आए तो ठंडा पानी पी लेना।

हर ठोकर सिखलाती हमको, कैसे है बचकर चलना।
जल्दी से सीखो---

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